Anderi Railway station Horror Story

यह कहानी जो आज मैं आप लोगों को सुनाने

वाला हूं यह हमारे देश के वन ऑफ द मोस्ट

बिज एस्ट रेलवे स्टेशन के बारे में होने

वाली है इस रेलवे स्टेशन का नाम है अंधेरी

रेलवे स्टेशन जो कि हमारे भारत देश के

मुंबई शहर में सिचुएटेड है लेकिन अभी आप

लोग सोच रहे रहोगे कि अमान भाई आपने तो

कहा है कि दिस इज अ हॉरर स्टोरी एंड एक

बिज एस्ट रेलवे स्टेशन हॉरर कैसे हो सकता

है जब वहां पर इतने सारे लोग होते हैं

दिस इज द मोस्ट इंटरेस्टिंग पार्ट ऑफ दिस

वीडियो जहां पे बहुत ज्यादा लोग होते हैं

जहां पे चीजें बहुत हप्रा दप में होती है

वहां पे हादसे भी बहुत ज्यादा होते हैं और

हादसों से मेरा मतलब है मौत अब यह वीडियो

शुरू करने से पहले ऐसे ही और हॉरर

मिस्टीरियस एंड हिस्टोरिकल वीडियोस देखने

के लिए सब्सक्राइब कर दीजिए इस चैनल को अब

यह कहानी शुरू होती है यह कहानी है मेरे

एक बहुत ही अच्छे दोस्त देवांश की जो कि

मेरे साथ कॉलेज में पढ़ा करता था एंड मैं

बचपन से जानता हूं एक्चुअली मेरे दोस्त को

अभी रिसेंटली हम लोग एक गेट टुगेदर में

मिले थे एंड तभी ली कहानी मुझे पता चले हम

लोग गेट टुगेदर में गाइस हम लोग हॉरर

स्टोरीज के बारे में बात कर रहे थे एंड

हॉरर स्टोरीज के बारे में बात करते करते

ऑफकोर्स देवांश ने बोला कि मेरे पास भी एक

हॉरर स्टोरी है एंड उसने अपनी कहानी सुनाई

जब उसने अपनी कहानी सुनाई ना तो मुझे बहुत

ही ज्यादा ऐसा लग रहा था कि एकदम बनावटी

कहानी है ये एकदम ऐसा लग रहा था कि ऐसा तो

हो ही नहीं सकता लेकिन जब उसने मुझे इस

कहानी की एकदम गहराई में लेके चला गया जब

उसने अपने बड़े भाई से भी मेरी बात कराई

के देखो ये मान नहीं रहा है फिर उसके बड़े

भाई ने भी कहा कि एकदम सच्ची कहानी है फिर

मैं भी और जब गहराई में गया इस कहानी के

आई वा ला दिस इज डेफिनेटली अ तत यह एक

कहानी तो है लेकिन उससे बढ़कर यह एक

खौफनाक कहानी है यह सुनके मेरा ही नहीं

किसी भी इंसान का दिल पूरी तरीके

से एकदम घबरा उठेगा अब यह कहानी मैं आपको

सुनाने जा रहा हूं तो शायद से आप भी वही

महसूस कर पाओ जो उस रात को मैंने महसूस

किया था गाइस यह कहानी है साल 2024 की अभी

की कहानी एक्चुअली जून में हुआ था यह सब

कुछ यह उस दौरान की बात है जब मेरा दोस्त

देवांस सेल्समैन का काम किया करता था

अंधेरी डीएन नगर में उसकी ऑफिस थी वो वहां

पे काम किया करता था एंड एक सेल्समैन का

जॉब ना काफी सिंपल सा था जो उसको दिया गया

था इट वाज कि आपको ऑफिस टू ऑफिस जाना है

और जाके आपको ऑर्डर्स लेने हैं जो हमारी

कंपनी सेल करती है ऐसा किया करता था एंड

गाइज द मोस्ट इंटरेस्टिंग पार्ट वाज कि यह

एक बहुत सिंपल सी नौकरी थी 925 जॉब

दैट्ची बड़ा ऑर्डर मिलने वाला था एंड उसके

ऑफिस से उसको एकदम चेतावनी मिली थी कि इस

ऑर्डर को लिए बिना तू कहीं पे भी नहीं

जाएगा तू घर नहीं जा सकता कितने भी बजे

रात के तेरे को रहना ही पड़ेगा वहां पे

फिर वो उसी ऑफिस में बैठा रहा एंड इट वाज

अ कॉल सेंटर बहुत ही ज्यादा लोग वहां पे

बिजी रहते कोई किसी की तरफ देखता भी नहीं

है एंड जिस दिन वो वहां पे गया था बहुत ही

ज्यादा बोर हो गया था वो क्योंकि बहुत

ज्यादा मीटिंग्स चल रही थी अंदर केबिन में

एंड इसने बोला कि मुझे तो बस ऑर्डर

कंफर्मेशन चाहिए फिर भी इतना ज्यादा समय

लग रहा है इतना ज्यादा समय लग रहा है मैं

क्या करूं उसने अपना फोन यूज करना चालू

किया फोन यूज करते करते करते करते करते

उसने अपने फोन की पूरी बैटरी भी डेड कर दी

थी वो बहुत बोर हो चुका था लेकिन फाइनली

उसको अंदर बुलाए एंड अंदर बुलाने के बाद

उसको ऑर्डर कंफर्मेशन मिल गया मिलने के

बाद उसने टाइम के ऊपर देखा अपने वॉच के

तरफ तो ऑलमोस्ट 7:00 बज रहे थे उसने बोला

अभी तो मुझे जाना ही पड़ेगा यार फिर वो

जल्दी से उठा एंड उसने मेट्रो लिया डीएन

नगर से अंधेरी तक वहां पे पहुंचने के बाद

लोकल ट्रेन के लिए अब वो वेट करने लग गया

था क्योंकि उसको लोकल ट्रेन से ही अंधेरी

से भाईंदर जाना था एंड गाइस अगर आपको नहीं

पता तो मैं आपको एक बात बता देता हूं कि

अंधेरी में शाम के 6:00 बजे से लेकर रात

को 10 बजे तक पीक आवर रहता है मतलब वहां

पे कोई भी जाओ आप बहुत मुश्किल से उस

ट्रेन में जा पाओगे अगर आप जाओगे तो आपको

लटक लटक के जाना पड़ेगा क्योंकि उस वक्त

अंधेरी में जो कॉर्पोरेट ऑफिसर्स रहते हैं

वो छूट जाते हैं वो निकल जाते हैं वहां से

लोग उनका साइन आउट टाइम होता है वह तो उस

वक्त वहां से निकलना बहुत ही ज्यादा

मुश्किल होता है अंधेरी स्टेशन से एंड यही

सेम चीज अभी देवांश के साथ भी हो रही थी

एंड देवांश तो लाइक चढ़ ही नहीं पा रहा था

क्योंकि अभी मालूम है क्या हुआ था गाइस कि

ट्रेन के पास आते-आते उसको ऐसा लग रहा था

बार-बार कि उसकी जो तबीयत है ना वो भी

एकदम खराब हो गई है मतलब जैसे वो मेट्रो

से ट्रेवल कर रहा था उसको अभी लग रहा था

कि अभी वो सिर्फ थका ही नहीं है अभी उसको

बुखार भी चढ़ रहा है धीरे-धीरे करके तो

उसके दिमाग में ना बस एक ही चीज चल रही थी

कि मुझे बस अपने ने घर पे जाना है मुझे

जल्दी से जाना है लेकिन गाइस अभी वो यह

सारी चीजें देख रहा था कि अभी ट्रेन भी

भरी हुई जा रही है अभी मेरी किस्मत ही कुछ

इस तरीके की है शायद से फिर उसने बोला अब

मेरी तबीयत इतनी खराब है मैं एक काम करता

हूं यहां पे थोड़ी देर के लिए बैठ जाता

हूं थोड़ा सा आराम कर लेता हूं जैसे ही

थोड़ा सा पीका आहुआ ठंडा होगा मैं यहां से

निकल जाऊंगा एंड गाइस देवांश की भी बात

असल में कुछ गलत नहीं थी एकदम सही थी

क्योंकि जो मुंबई लोकल ट्रेन होता है ना

वो कोई भी मजाक की चीज नहीं है आप कोई भी

लोकल ट्रेन देख लेना लेकिन मुंबई लोकल

ट्रेन इज द मोस्ट मेसी

लोकल ट्रेन क्योंकि यहां पर खड़े रह के

जाना तो छोड़ो आपको यहां पर 150 लोगों के

बीच में एकदम दब के जाना पड़ता है एकदम जो

अगर क्लस्ट्रोफोबिक इंसान रहेगा उसका तो

दम गुट जाएगा अंदर क्योंकि गाइस वहां पे

सिटिंग एरियाज बहुत कम होते हैं एंड

स्टैंडिंग में ही जाना पड़ता है यहां पे

मतलब हर रोज तीन 3500 लोग ट्रेवल करते हैं

अंधेरी से एंड यह चीज ऑफकोर्स इंटरनेट पे

भी लिखा हुआ है एंड गाइस वहीं पर देवांश

की हालत इतनी ज्यादा खराब थी कि उसने बोला

मैं इंतजार कर लूंगा वो ज्यादा बेहतर है

लेकिन मैं इस भीड़ में तो नहीं जाने वाला

मैं आराम कर लेता हूं फिर वो इंतजार करते

रहा करते रहा करते रहा करते रहा एंड अभी

उसको पता भी नहीं चला कि उसकी तबीयत इतनी

खराब थी कि अब उसकी आंख लग चुकी थी काफी

समय बाद देवांश की आंखें खुली एंड वो

अंधेरी के उसी रेलवे स्टेशन के किसी एक

बेंच पर से उठा आसपास नजरें घुमाई एंड

उसने देखा कि पूरा रेलवे स्टेशन खाली था

सिर्फ सन्नाटा देवांश को बिल्कुल भी बिलीव

नहीं हो रहा था कि वो अंधेरी रेलवे स्टेशन

में बैठा हुआ है क्योंकि आई डोंट थिंक सो

कि आज तक कभी किसी ने अंधेरी रेलवे स्टेशन

को इतना ज्यादा खाली देखा है किसी ने कभी

खाली देखा ही नहीं है हमेशा लोगों का आना

जाना वहां पे चाहे सुबह में हो शाम में हो

रात में हो हमेशा वह भरा पड़ा रहता है फिर

उसने आसपास अपनी नजरें घुमाई देवांस ने

एंड उसने रेलवे स्टेशन पर लगी एक घड़ी की

ओर देखा एंड उस परे लगा हुआ था 1:30 बजे

1:30 बज रहे थे उस समय आधी रात के फिर

उसको पता चला कि 1:30 बजे एक रेलवे स्टेशन

पे होना वो भी मुंबई रेलवे स्टेशन पे वो

सबसे ज्यादा खराब चीज हो सकती है गाइस

क्योंकि उस समय कोई इंसान कहीं पर जा ही

नहीं सकता क्योंकि 1:30 बजे आखिरी ट्रेन

पहुंच जाती है विरार इट्स द लास्ट ट्रेन

और वह भी निकल चुकी थी वहां से और पूरे

स्टेशन पर सन्नाटा छाया हुआ था एंड गाइस

देवांश एक नॉर्मल सा सेल्समैन था उसके पास

इतने पैसे भी नहीं थे कि वह ओबर या ओला कर

सके यह सब चीजों के एंड गाइस ऑफकोर्स उसके

फोन की भी बैटरी डेड हो चुकी थी उसके पास

कोई भी ऑप्शन नहीं बच रहा था एंड देवांश

ने सोचा कि अभी ढ़ ही गए हैं अभी सिर्फ बस

कुछ ही घंटे बाकी है एंड मैं थोड़ी देर के

लिए रुक जाता हूं मतलब 4:00 बजे की ट्रेन

होती है फर्स्ट इन मुंबई लोकल सो मैं उसका

वेट कर लेता हूं 4:00 बजे तक का उसको वेट

करना था देवांश को फिर उसने बोला चलो ठीक

है अब रात काफी हो गई है मैं जाके एक बेंच

पे जाके सो जाता हूं एंड गाइज फिर वो एक

बेंच पे जाके फिलहाल के लिए बैठ गया एंड

अब यह कहानी शुरू होती है वो जैसे ही उस

बेंच पे बैठा था ना गाइस उसको बार-बार ऐसा

लग रहा था कि पीछे से कोई तो उसको घूर के

देख रहा है उसके ठीक पीछे एक पिलर था एंड

उसको बार-बार पता नहीं ऐसा क्यों लग रहा

था कि कि कोई तो उस पिलर से उसको झाक झाक

के देख रहा है वो बार-बार पीछे पलट के देख

रहा था देवांश लेकिन उसको वहां पे कोई भी

नहीं दिख रहा था कम से कम 5 मिनट गुजर

चुके थे एंड उसको अभी तक ऐसा लग रहा था कि

कोई तो उसके पीछे खड़ा है उस पिलर के पीछे

उसको घुर घुर के देख रहा है फिर हार के

देवांश ने थोड़ी सी हिम्मत करी एंड वो गया

उस पिलर के पीछे एंड देखा तो वहां पे कोई

भी नहीं है उसको थोड़ी सी राहत मिली उसे

ऐसा लग रहा था कि ये बस उसका एक वहम था

फिर वो अपनी उसी बेंच के पास वापस जाने ही

लगा कि अचानक से उसको दिखा कि वहां पे तीन

लोग बैठे हैं तीनों के तीनों आदमी थे एंड

वो रेलवे ट्रैक की ओर घूर के देख रहे थे

लेकिन अभी देवांश उनके पास गया ही नहीं

उसने बोला कि मुझे कुछ तो यहां पे सही

नहीं लग रहा है ये तीनों लोग बहुत ही

ज्यादा अब नॉर्मल टाइप के लग रहे हैं

इंसानों जैसे तो नहीं लग रहे मेरे को तो

फिर उसने मल में क्या किया उसी के बगल में

थोड़े से दूर में वहां पे एक स्टोन मेड

ऐसी एक सीट बनाई गई थी फुल फ्लैट जिसके

ऊपर वह आराम से लेट सकता था तो वो वहां पे

गया और वहां प जाके लेट गया अब ना कुछ ही

सेकंड बाद वो ऐसा लेटा हुआ है आंखें बंद

करके एंड वो सुन सकता था कि वो लोग कुछ तो

बातें कर रहे हैं एक दूसरे के साथ उसने

इग्नोर किया उसने बोला रहेगी कुछ बात कर

रहे रहेंगे वोह लोग ठीक है लेकिन अभी कुछ

मिनटों बाद वह बातें सिर्फ बातें नहीं थी

वो तीनों लोग मिलके अभी रो रहे थे चीक रहे

थे उस पूरे रेलवे स्टेशन में उनकी आवाजें

गूंजने लग गई थी देवांश बहुत ही ज्यादा

अनकंफर्ट बल हो गया था उसकी जो सांसें थी

अभी ऊपर नीचे हो रही थी वो सोच भी नहीं पा

रहा था कि मैं अब करूं तो क्या करूं लेकिन

उसको उस वक्त तक एक बात समझ में आ गई थी

कि यह लोग जो भी है इंसान तो नहीं है यह

सब कुछ सुनने के बाद फिर भी देवांश ने एक

करवट ली अपने चेहरे को दूसरे तरफ करके वह

वहां पर लेट गया थोड़ा वक्त गुजर चुका था

सब कुछ शांत हो गया था लेकिन अब अचानक से

उसके पैर पर कुछ तो टच हुआ उसने अपनी

नजरें अपने पैरों की तरफ करी और देखा कि

वोह तीनों लोग वहीं पर उसके पास ही बैठे

हुए थे उसकी तरफ देख रहे थे मुस्कुराते

हुए इ उससे सिर्फ एक ही सवाल पूछा मराठी

में कि तू पन मर शल ना गाइस दिस इज अ

मराठी सेंटेंस इसका मतलब हिंदी में होता

है कि तू भी मरने वाला है ना यह सब कुछ

सुनने के बाद देवांश बहुत ही ज्यादा डर

चुका था व एकदम कांपते हुए वहां से अपना

बैग लिया एंड वहां से दूर भागा भागते

भागते उसने रेलवे ट्रेन के एक घड़ी की तरफ

देखा वहां पर लिखा हुआ था 1:30 बजे इतना

वक्त गुजर चुका था उस लोकल ट्रेन स्टेशन

में लेकिन फिर भी वापस से वहां पर सिर्फ

और सिर्फ ढ़ ही बज रहे इट वाज अ शॉक अभी

के लिए देवांश को ऐसा लग रहा था कि यह सब

कुछ सपना है ऐसा कुछ भी नहीं हो सकता

लेकिन हकीकत में देवांश उस पूरे स्टेशन

में अकेला था उसकी मदद करने वाला भी कोई

भी नहीं था फिर भी वह भागते भागते उस

रेलवे स्टेशन के टिकट काउंटर के पास

पहुंचा लेकिन फिर वापस से उसके पीछे से

उसको एक आवाज आई अरे सांग ना तपन मर्सल ना

ये सुनने के बाद देवांश ने पीछे मुड़कर

देखा देखा कि वही तीनों उसकी ओर भागते हुए

आ रहे थे देवांश ने अभी यह सब कुछ सुन

सुनकर अपनी आंखें बंद कर ली थी लेकिन उसको

वापस से एक और एक चीज मराठी में सुनाई दी

थी जिसका मतलब हिंदी में होता है कि हमारे

पास आ जा हम लोग सिर्फ मुर्दे ही तो है

सिर्फ मर चुके हैं हम तुझे कुछ करेंगे

नहीं यह सब कुछ सुनने के बाद लाइक ऑफकोर्स

ऐसे समय पे इंसान को सिर्फ भगवान ही याद

आएगा एंड देवांश को भी आ रहे थे उसको

थोड़ा बहुत हनुमान चालीसा याद था उसने वो

पढ़ा एंड वो पढ़ते-पढ़ते वहीं पे बेहोश

पड़ गया सुबह-सुबह देवांश की आंखें खुली

एंड उसको एक सफाई वाले ने असल में उठाया

था वो जो टिकट काउंटर था उसके कोने में के

वो बेहोश हो गया था उसको उठाया एंड उसने

वक्त की तरफ देखा तो टाइम पे 5:00 बज रहे

थे वो भागते हुए ट्रेन के पास गया उसने

अपनी ट्रेन पकड़ ली भाईंदर के लिए फाइनली

वो पूरे समय बस एक ही चीज सुन रहा था वही

चीज उसके कानों में गूंज रही थी गूंज रही

थी कि ये सारी चीजें हुई है कि नहीं है

क्या यह सिर्फ मेरा सपना था एंड फिर

फाइनली बांदर रेलवे स्टेशन आ गया और वो बस

उतरने ही जा रहा था कि उस गेट के पास उस

डोर के पास उस दरवाजे के पास वही तीनों

खड़े थे एंड उन्होंने वापस से वही सवाल

पूछा कि तू पन मर शल ना मतलब तू भी मरने

वाला है ना लेकिन गाइस इस बार देवांश

भागते हुए उन तीनों को छोड़ते हुए वहां से

भागा एंड अपने घर की ओर भागा सीधा अपने घर

के अंदर गया एंड जाके उसने करण उसका जो

बड़ा भाई था उसको जा कि ये सारी बातें

बताई कि ये सारी चीजें हुई है भैया मेरे

साथ मैं क्या करूं करण ने फिलहाल के लिए

उसको थोड़ा सा शांत कराया उसको बोला कि

भाई तू थोड़ी देर के लिए सो जा हम सुबह उठ

के देखते कि क्या होगा यहां पे थोड़ी देर

के लिए सो जा अगले ही दिन दोपहर और शाम के

बीच में वो लोग एक मंदिर के पास गए वहां

पे पुजारी को ये सारी बातें बताई लेकिन

पुजारी ने भी कोई ऐसा एकदम डायरेक्ट चीजें

कुछ ऐसी बताई नहीं कि ये सब चीज क्यों हुई

है एंड हमें क्या करना चाहिए बस वो लोग

इतना ही कह रहे थे कि हनुमान चालीसा याद

रखो पूजा पाठ करो वगैरह वगैरह ये सारी

चीजें ही बोल रहे थे कुछ भी ऐसा ढंग की

चीज उनको नहीं मिल रही थी कि मैं अब ये

चीजें निकालूं कैसे अपने दिमाग से पूजा

पाठ तो मैं कर लूंगा लेकिन उसको डर था कि

वही तीनों उसको वापस से ना मिल ले फिर कुछ

देर बाद देवांश के बड़े भाई करण को एक चीज

याद आई कि बहुत सालों पहले अंधेरी में ही

उनका एक दोस्त लाइक नाइट टेक्निशियन का

काम करता था फॉर एरर एंड टेक्निकल

प्रॉब्लम्स वगैरह वगैरह एंड फाइनली फिर वो

दोनों देवांश ए करण उसके दोस्त के पास चले

गए उसके दोस्त के पास जाने के बाद

उन्होंने ये सारी बातें बताई कि ये सारी

चीजें हुई हैं उसके दोस्त का नाम सनी था

बाय द वे फिर सनी ने कहा कि हां तो ये हुआ

मतलब क्या फिर उन्होंने बोला अरे मैं पूरी

तरीके से डर चुका हूं इसका मैं करूं क्या

और ये सब चीजें हुई क्यों है फिर सनी ने

कहा कि मुंबई लोकल में साल में 2000 से

ज्यादा लोग मरते हैं कभी गिर के मर जाते

हैं कभी तड़प-तड़प के मर जाते हैं कभी कोई

करता है एंड मुंबई लोकल रेलवे स्टेशंस में

ऑफकोर्स अंधेरी रेलवे स्टेशन का भी नाम

आता है जहां पे भी ऐसे हादसे बहुत ज्यादा

हुए हैं अगर को करके मरे तो भी उसको

प्रेतात्मा ही बनना है अगर कोई गलती से

यहां पे कट के मरे उसको भी प्रेतात्मा

बनना है किसी भी हालत में अगर किसी की भी

रेलवे स्टेशन पर मौत होती है उसका एक

प्रेतात्मा बनना तो निश्चिंत है फिर

देवांश ने पूछा कि लेकिन वो तीन लोग कौन

थे उनका यह सब चीजों से क्या लेना देना

फिर सनी ने कहा यह सब मुझे नहीं पता है

मुझे बस इतना पता है कि रेलवे स्टेशन बहुत

ही ज्यादा हंटेड होते हैं एंड ये जो काले

साय हैं ना इनका तो काम ही यह है कि जब एक

पूरा रेलवे स्टेशन या फिर एक पूरा इलाका

जब सन्नाटे से भरा हुआ रहता है अंधेरे से

भरा हुआ रहता है तब ये लोग बाहर निकलते

हैं सन्नाटे में छक छक कर अपने मौत का

महातम बनाने उस दिन के बाद से देवांश का

तो एक नियम सा ही बन गया था कि चाहे ऑफिस

का कितना भी इंपॉर्टेंट काम हो मैं 5:00

बजे से ज्यादा कहीं पे भी नहीं रुकने वाला

हूं क्योंकि उसको उस दिन अपनी जान की कीमत

समझ में आई कि आधी रात को अपने घर से बाहर

रहना एक अंधेरी से जगह पे रहना इसका मतलब

यही होता है कि हम आत्माओं के बसेरे के

बीच में है और आत्माओं के बसेरे के बीच

में रहना मतलब मौत के करीब रहना आज इस

वीडियो के अंत में मैं आपसे बस इतना ही

कहना चाहूंगा कि जिस जगह को आप इतना

ज्यादा भरा हुआ देखते हो इतना ज्यादा

क्राउडेड देखते हो इसका मतलब ये नहीं है

कि वो हर वक्त भरा हुआ ही रहता है कभी ना

कभी तो वो सन्नाटे से भरा हुआ होगा ही आधी

रात में जाइए उस जगह पे आपको पता चलेगा कि

उस जगह से ज्यादा खतरनाक कोई जगह नहीं

होता उस जगह से ज्यादा खौफनाक कोई जगह

नहीं होता चाहे वह कोई भी कॉलेज हो चाहे

वह कोई भी अस्पताल हो चाहे वह कोई भी

स्कूल हो इट डजन मैटर चाहे वह कोई भी

रेलवे स्टेशन हो काले साय हर जगह पर भटकते

रहते हैं इन चीजों से चौकन ने रहिए एंड

मैं एक और एक बात बता रहा हूं मैं अंधेरी

रेलवे स्टेशन के बारे में कुछ भी गलत नहीं

बोल रहा हूं मैं ऐसा नहीं बोल रहा हूं कि

वहां पर आप मत जाइए जाइए लेकिन आधी रात

में मत जाइए शुक्रिया

Leave a Reply